अन्नदाताओं के साथ हो रहा आंख मिचौली का खेल

संवाददाता-दीपक मेश्राम

पां.छपारा// जिले की विकासखंड केवलारी के अंतर्गत आने वाले ग्राम जेवनारा को धान उपार्जन केंद्र बनाया गया है जहाँ 2022 की धान खरीदी की जिम्मेदारी जेवनारा के ही एक महा लक्ष्मी स्वसहायता समूह को दी गई है जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है,एक तरफ अन्नदाता 1 माह से अपनी फसल का भुगतान न होने से परेशान है तो दूसरी ओर जेवनारा खरीदी केंद्र में किसानों से अधिक मात्रा में लिए धान को बारदाने से निकालने का काला खेल चलता दिखाई दे रहा है,और खाद्य आपूर्ति विभाग व शासन प्रशासन में बैठे उच्चअधिकारी चुप्पी साधे हुए है।मानो ऐसा लगता है जैसे उच्च अधिकारियों व फूड विभाग का इस उपार्जन केंद्र को पूरा संरक्षण प्राप्त है।एक और देखे तो केंद्र प्रभारी मीडिया को जानकारी देने से कतराती है तो दूसरी और किसान अपनी धान स्वयं काटा करने को मजबूर है,अन्नदाताओं से चर्चा करने पर बताया कि हम अपने घर से इलेक्ट्रिक काटा लाए हैं और धान तौल रहे हैं सवाल यह है कि जब किसान ही सारे काम कर रहे हैं तो हमाल और समूह की क्या आवश्यकता तो दूसरी और यह भी देखा गया कि किसान को मेसेज भी नही आये और उनका धान तौल लिया गया जो यह नियम के विरुद्ध है,परन्तु सवाल यह उठता है कि, किसान को मेसेजआये बिना उसकी धान को खरीदने का अधिकार इन्हें दिया किसने?औऱ कैसे तौले? आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है? खरीदी केंद्र में यह भी देखा गया कि पिछले दिनों बे मौसम बारिश हुई,जिसकी सूचना मौसम विभाग ने पहले ही दे दी थी जिसके चलते सरकार द्वारा सभी खरीदी केंद्रों को सहायता राशि दी गई थी परंतु बहुत से खरीदी प्रभारियों ने अपनी ही जेब गर्म कर ली जिसके चलते वर्षा होने पर अधिकांश धान गिली व खराब हो गई,और धान के फूलने पर उपार्जन केंद्र के कर्मचारियों द्वारा धान निकालने का सिलसिला जारी हो गया। तो दूसरीऔरअन्नदाता ही अपनी धान काटा कर रहा है, तो इस समूह का क्या काम? और यह भी देखा गया है कि काटा करते समय समूह के कोई भी जवाबदार सदस्य मौजूद नहीं रहते, जब समूह के सदस्य अपनी जिम्मेदारियां बखूबी नहीं निभा रहे हैं तो सरकार ऐसे समूह को अन्नदाता से खिलवाड़ करने हेतु खरीदी की जिम्मेदारी क्यों दे रही है ?यह बात भी समझ के परे है।

सूत्र बताते है कि विभागीय अधिकारी आते हैं और खानापूर्ति करके चले जाते हैं,जब जिम्मेदार अधिकारी ही गलतियों को नजरअंदाज करेंगे तो फिर अन्नदाताओं को न्याय कहाँ मिलेगा?यह भी एक विचारणीय प्रश्न है।और यह समस्या एक ही उपार्जन केंद्र की नही है ऐसे अनेक उपार्जन केंद्र है जहाँ अन्नदाताओं को ठगा जा रहा है,ऐसे केंद्रों को चिन्हित कर उन पर कार्यवाही होनी चाहिए ताकि दूसरों को सबक मिल सके।मीडिया कर्मियों ने खाद्य आपूर्ति विभाग की अधिकारी रीता मर्सकोले से दूरभाष द्वारा संपर्क किया परन्तु उन्होंने बात करना उचित नही समझा, ऐसी कार्यप्रणाली के चलते खरीदी प्रभारी को बढ़ावा मिल रहा है।

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