99 प्रतिशत स्कूलों में चपरासी और सफाई कर्मचारी नहीं है-रघुवीर अहरवाल शर्मनाक शिक्षा स्तर पर्याप्त संख्या में भर्ती करके शिक्षकों से बेगारी बंद हो
99 प्रतिशत स्कूलों में चपरासी और सफाई कर्मचारी नहीं है-रघुवीर अहरवाल
शर्मनाक शिक्षा स्तर पर्याप्त संख्या में भर्ती करके शिक्षकों से बेगारी बंद हो
पृथ्वी टाइम्स सिवनी 19 जनवरी 2024 – शिक्षा की शर्मनाक दशा उजागर करने वाली एक रिपोर्ट के अनुसार 14 से 18 वर्ष के 25 प्रतिशत बच्चे कक्षा दो के पाठ को ठीक से नहीं पढ़ पाते। जबकि ये बच्चे 8 वी से 12 वी कक्षा के विद्यार्थी होते हैं। जो बच्चे 5 वी कक्षा तक पढ़े हैं। उनका स्तर तो बहुत शर्मनाक है। इस दशा को सुधारने के लिए पर्याप्त संख्या में भर्ती करके शिक्षकों से बेगार कराना बंद किया जाए।
उक्ताशय की मांग करते हुए रविदास शिक्षा मिशन के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व केन्द्र सरकार ने नई शिक्षा नीति की घोषणा करते हुए उसके बहुत गुणगान किए थे। देश प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के साथ साथ संसाधनों का भी अभाव है। अधिकांश प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में एक या दो शिक्षक कार्यरत हैं। प्रथम फाउंडेशन की वियांड वेसिक्स 2023 की एएसइआर रिपोर्ट के अनुसार सरकारी और निजी स्कूलों के 14 से 18 वर्ष आयु के बच्चे कक्षा 2 के पाठ को ठीक से नहीं पढ़ पाते। इसी आयु वर्ग करीब 51 प्रतिशत बच्चे गणित के साधरण प्रश्न हल नहीं कर सकते। अंग्रेजी का शिक्षा स्तर तो बेहद दयनीय है। देश का शिक्षा स्तर पाकिस्तान और बंग्लादेश से भी घटिया है। रविदास शिक्षा मिशन के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने आगे बताया कि मध्यप्रदेश में करीब 80 हजार प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूल हैं। इनमें से करीब 99 प्रतिशत स्कूलों में चपरासी और सफाई कर्मचारी नहीं है। प्रतिदिन शिक्षक और विद्यार्थी स्कूल खोलते ही साफ सफाई में व्यस्त होते हैं। अधिकांश स्कूलों में शौचालय बन चुके हैं। लेकिन सफाई कर्मचारी नहीं होने से यह काम कौन करता है? यह सोचकर सरकार की नादानी पर तरस आता है। बच्चों से शौचालय साफ करवाना भी अवैध है। इसके बाद सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से सरकार 25 प्रकार के गैरशैक्षणिक कार्य करवाती है। जिसको आम लोग बेगार कहते हैं। जैसे बच्चों के जाति प्रमाण पत्र, अनेक प्रकार के प्रमाण पत्र , स्कूल यूनिफॉर्म पेपर, कई प्रकार के छात्रवृत्ति पत्रक , आधार कार्ड, मेडिकल जांच, दवा वितरण, पुस्तक वितरण, वोटर लिस्ट बनाना, चुनाव कार्य, जनगणना, गांव और वार्डों में कई तरह की गणना , सर्वे , साइकल वितरण, अनेक आकस्मिक कार्य के साथ साथ वर्ष में एक महीने या 15 दिन का शैक्षणिक प्रशिक्षण आदि। उक्त गैर शैक्षणिक कार्यों के कारण सरकारी स्कूलों के शिक्षक चाहकर भी बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते। शिक्षा स्तर को चौपट करने में कक्षा पहली से 8 वी तक के सभी बच्चों को पास करने की नीति अत्यंत घातक सिद्ध हो रही है।इसके अलावा कक्षा 5 वी और 8 वी की बोर्ड परीक्षा को समाप्त किया गया है यह भी बहुत निंदनीय कार्य था। इससे गरीबों के 5 वी पास बच्चे अनपढ़ नजर आते हैं। जो सरकारी शिक्षा शास्त्रियों की बदनीयती का प्रमाण है। इसके बाद केन्द्र सरकार शिक्षा के बजट में लगातार कटौती कर रही है। जिससे सरकार की घृणित मंशा का खुलासा होता है।