खून जांच के नाम पर मरीजों से लूट का अड्डा बना छपारा

डॉक्टर पटेरिया द्वारा होता है लाइफ लाइन लैब का संचालन

बिना एम डी पैथोलॉजिस्ट के धड़ल्ले से दी जा रही जांच रिपोर्ट

मनमानी जांच फीस में डॉक्टरों का रहता है कमीशन

सिवनी/छपारा पृथ्वी टाइम्स 2 अक्टूबर 2023
छपारा मुख्यालय में सामुदायिक स्वास्थ्य विभाग के मुहाने पर लाइफ लाइन लैब का व्यापार डॉक्टर पटेरिया के द्वारा खुलेआम चलाया जा रहा है जहां आप्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन व उनके वर्करों के द्वारा ब्लड सैंपल की जांच की जा रही है एक तरफ डॉक्टर हरिप्रकाश पटेरिया मरीजों के लिए अनावश्यक जांच लिखते हैं तो वहीं दूसरी ओर छपारा अस्पताल के डॉक्टर और नर्स भी जांच के नाम पर मरीजों का शोषण कर रहे हैं सभी डॉक्टरों व नर्सो का एक मोटा कमीशन लैब संचालक द्वारा प्रतिमाह दिया जाता है छपारा नगर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छपारा के मुहाने पर लाइफ लाइन लैब का संचालन होता है जहां लैब टेक्नीशियन के वर्करो द्वारा डॉक्टर के घरों में जाकर, नर्सों के घरों में जाकर वह मरीज को बुला बुलाकर ब्लड सैंपल लिये जा रहे हैं और जांच कर रहे हैं मरीज मजबूर होता है सुविधाओं को देखते हुए अपनी जांच तो करवा लेता है लेकिन जांच की सत्यता के बारे में उसे कोई ज्ञान नहीं होता ब्लड सैंपल की जांच किन मशीनों से और किन मांनको से की जा रही है यह तो जांच लिखने वाले डॉक्टर और टेक्नीशियन ही जानता है इस तरह से मरीजों के साथ धोखाधड़ी और लूट का खेल खेला जा रहा है

सरकारी दावों पर सवालिया निशान

आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के लिए सरकार द्वारा भले ही लाख दावे किए जा रहे हो। लेकिन, हकीकत यही है कि आज भी जिले के विकासखण्ड में संचालित अधिकांश खून जांच घर बिना निबंधन के संचालित हैं।
आलम यह है कि अधिकांश जांच घरों में अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों का खून, पेशाब व अन्य जांच की जा रही है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि इसी आधार पर चिकित्सकों द्वारा मरीजों को दवा लिखी जा रही है। अब सवाल उठता है कि जिन मरीजों के खून, पेशाब व अन्य समस्याओं से संबंधित जांच ऐसे पैथोलॉजी लैब में की जाती है।
जिसका ना तो विभाग द्वारा निबंधन किया गया है और ना ही उस जांच घर में प्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा जांच की गयी। ऐसी स्थिति में उनके द्वारा दी गयी रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में आती है। इसका खामियाजा बिना निबंधन व अप्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा संचालित जांच घरों में जांच कराने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

मरीजों पर आर्थिक, शारीरिक, और मानसिक असर

इसकी जिम्मेदारी भले ही कोई नहीं ले, लेकिन इसका खामियाजा मरीजों को आर्थिक, शारीरिक व मानसिक रुप से झेलना पड़ता है। सबसे ज्यादा नुकसान तो गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वालों को होती है। जिनके लिए बेहतर इलाज के लिए बाहर अन्यत्र जाना संभव नहीं होता है। बावजूद आज धड़ल्ले से ऐसे जांच घर खुल रहे हैं, जिसकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है।

पूर्व से बने हैं सरकारी नियम

जानकार बताते हैं कि पैथोलॉजी सेंटरों के संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में ही नियम-कायदे तैयार किये गये हैं। इसके लागू होने से सरकार को काफी राजस्व की प्राप्ति होगी। साथ ही अवैध और मानकों का उल्लंघन करने वाले पैथोलॉजी केंद्रों के संचालक के विरुद्ध कार्रवाई भी सुनिश्चित हो सकेगी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग को न तो मरीजों की चिंता दिख रही है और न ही राजस्व के नुकसान का मलाल है। यही कारण है कि केंद्रों के पंजीयन को लेकर विभाग भी उदासीन दिख रहा है।

पूर्व विधायक व सांसद नीता पटेरिया के पति है डाक्टर पटेरिया

छपारा मुख्यालय स्वास्थ्य विभाग के मुहाने पर लाईफ लाईन पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन किया जा रहा है। और उक्त लैव का संचालन सेवा निवृत्त डाक्टर पटेरिया जिनकी पत्नि श्रीमति नीता पटेरिया जो भाजपा दल से पूर्व विधायक व सांसद रह चुकी है जिनकी राजनैतिक आड में डाक्टर पटेरिया लैव का संचालन कर मरीजों को खून जांच के नाम पर ठग रहे हैं आर्थिक आधार पर जैसा मरीज, वैसा शुल्क का फॉर्मूला अपनाया जा रहा है। एक ही जांच के लिए अलग-अलग मरीजों से अलग-अलग राशि की वसूली हो रही है।

*सांठगांठ कर हो रहा मरीजों का शोषण*

स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण छपारा में अवैध पैथोलॉजी धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं लैब संचालकों द्वारा चिकित्सकों से सांठ-गांठ कर मरीजों का शोषण किया जा रहा है। दरअसल प्रावधानों के अनुसार प्रशिक्षित लैब तकनीशियन को ही मरीजों की पैथोलॉजी जांच का अधिकार है। लेकिन, जिले में संचालित अधिकतर पैथोलॉजी लैब में तकनीशियन हैं ही नहीं। अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों की जांच की जाती है।
बिना निबंधन जुर्माने का प्रावधान
बिना निबंधन के जांच घर चलाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि यहां एक भी जांच घर निबंधित नहीं है. जांच घरों का निबंधन नहीं होने की वजह से विभागीय स्तर पर इसकी सुनवाई करने वाला भी कोई नहीं है।

*जुर्माना का है प्रावधान*

प्रावधानों के अनुसार बिना निबंधन के जांच घर संचालित करने पर पहली बार 50 हजार रुपए जुर्माना, दूसरी बार पकड़े जाने पर दो लाख रुपए तक का जुर्माना व तीसरी बार पकड़े जाने पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
जिले में चल रहे अवैध पैथोलॉजी लैब
जिले में अवैध पैथोलॉजी लैब की बाढ़ सी आ गई है।

कलेक्शन सेंटर की आड़ में धड़ल्ले से अवैध पैथोलॉजी लैबों का संचालन किया जा रहा न योग्यता न रजिस्ट्रेशन जबकि
लैब संचालन के लिए शासन द्वारा विधिवत नियम लागू किए गए हैं, लेकिन जिले में आश्चर्यजनक रुप से डीएमएलटी व उनके सहयोगी तक लैब संचालित कर रहे हैं, वे ही रिपोर्ट में साइन करके दे रहे हैं, जबकि लैब संचालक एमबीबीएस, एमडी पैथोलॉजिस्ट होना चाहिए। इतना ही नहीं अवैध तरीके से संचालित हो रहीं लैब के पास न ही नियमानुसार पॉल्यूशन बोर्ड का रजिस्ट्रेशन है और न ही पंजीकृत मेडिकल वेस्ट फर्म का पंजीयन है।

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