खास खबर पड़ताल
जल संसाधन विभाग के अफसरों का कारनामा
सिवनी ब्रांच कैनाल में ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने लगाया 52 साल पुराना लोहा
अश्वनी मिश्रा
सिवनी पृथ्वी टाइम्स// – जल संसाधन विभाग के अफसरों ने भ्रष्टाचार की हद पार करते हुए मैंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी और उसके सब कांट्रेक्टरों को फायदा पहुंचाने के लिए सिवनी ब्रांच केनाल (एसबीसी) के निर्माण में 1970 में खरीदा गया लोहा लगाने का मामला सामने आया हैं। लेकिन इस पूरे मामले में अब तक जल संसाधन विभाग के बैनगंगा कछार सिवनी और छिंदवाड़ा के अफसरों पर कोई कार्यवाही तय नहीं हो पाई हैं।
उल्लेखनीय है कि जल संसाधन विभाग के वैनगंगा कछार सिवनी और छिंदवाड़ा के अधिकारियों की मिलीभगत से संजय सरोवर भीमगढ़ डैम की एसबीसी की एक्वाडक्ट निर्माण और नहर मरम्मत में 52 साल पुराना सरिया/लोहा लगा दिया गया हैं। उक्त पूरा काम हैदराबाद की मैंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी और सरला प्रोजेक्ट वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड ने ज्वाइंट वेंचर में लिया हैं।
## कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान हुआ खेल ##
सिवनी ब्रांच केनाल (एसबीसी) और एक्वाडक्ट निर्माण में कोरोना संक्रमण लॉकडाउन के दौरान जल संसाधन विभाग के अफसरों ने मैंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी और उसके पेटी कांट्रेक्टरों को अपने स्टॉक में 1970 से खरीदा गया लोहा निर्माण में लगाने को दे दिया। हैरानी की बात तो यह है कि एसबीसी और एक्वाडक्ट निर्माण में उपयोग में लिए गए 52 साल पुराने लोहे/सरिया की ना तो लाइफ का परीक्षण करवाया गया और ना ही उपयोग से पहले लैबोरेट्री में उसकी गुणवत्ता की जांच कराई गई। बता दे की मैसर्स मैटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी ने सिवनी मैन ब्रांच के कैनाल पर 1 साल तक कोई काम नहीं किया। जबकि उस दौरान नहर की मांग को लेकर किसानों ने जमकर आंदोलन किया था। काम बंद करने वाली मैंटाना कंपनी को जल संसाधन विभाग के अधिकारी सिर्फ नोटिस देते रहे बाद में कंपनी को बचाते हुए पेटी ठेकेदारों से काम कराया गया।
भीमगढ़ के सेंट्रल स्टोर में रखा था लोहा
बता दें कि कोविड-19 संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने मार्केट में लोहा सरिया और स्टील की शॉर्टेज बताकर 1970 में खरीदा गया और भीमगढ़ के सेंटर स्टोर में रखा हुआ 681 क्विंटल लोहा/ सरिया पेटी कांट्रेक्टरों को उपयोग के लिए दे दिया। 52 साल पुराने लोहे को जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से एसबीसी और एक्वाडक्ट निर्माण में बिना उसकी गुणवत्ता परीक्षण कराए लगा दिया गया। इस पूरे मामले में जल संसाधन विभाग के बैनगंगा कछार सिवनी और छिंदवाड़ा के अधिकारी जवाब देने से बच रहे हैं। अब देखना यह है कि इस खुलासे के बाद विभाग के अफसरों पर क्या कार्यवाही तय हो पाती हैं?