मप्र एनआरएलएम में कमीशन की भेंट चढ़ी गणवेश योजना जांच हुई तो लाखों के कमीशन का होगा पर्दाफास
मप्र एनआरएलएम में कमीशन की भेंट चढ़ी गणवेश योजना
जांच हुई तो लाखों के कमीशन का होगा पर्दाफास
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के क्षात्र-क्षात्राओं को सत्र 2022-23 में हुए गणवेश वितरण में एनआरएलएम मप्र द्वारा कमीशन के चक्कर मे जो मनमर्जी हुई उसकी सच्चाई जानकर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जांच कराकर जिम्मेदारों पर कार्यवाही की दिशा में ठोस कदम उठा सकते हैं।
भोपाल पृथ्वी टाइम्स 8319983237।
दिनांक 14 सितंबर 2023
राज्य शिक्षा केन्द्र के पत्र क्रमांक 2023/5174
भोपाल, दिनांक 20/7/2023 को मध्य प्रदेश के सभी
कलेक्टर को निर्देशित किया गया है कि
मप्र की शासकीय शालाओं में अध्ययनरत कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों (सी एम राईज विद्यालयों को छोड़कर) को सत्र 2023-24 मे स्व सहायता समूह के माध्यम से गणवेश प्रदाय किया जाएगा इस हेतु राज्य शिक्षा केन्द्र के पत्र क्रमांक / राशि के / प्रोत्साहन / 2023 / 1288 भोपाल दिनांक 3/03/2023
म.प्र शासन के निर्णय अनुसार सत्र 2023-24 मे शासकीय शालाओं मे अध्ययनरत कक्षा 1 से 8 तक के
छात्रों (सी एम राईज विद्यालयों को छोड़कर) छात्रों को गणवेश प्रदाय स्व सहायता समूह के माध्यम से किया जाना है। इस कार्य हेतु संदर्भित पत्र के माध्यम से मुख्य कार्यपालन अधिकारी म.प्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को लेख किया गया है। अतः सत्र 2023-24 मे गणवेश प्रदाय के संबंध में निम्नानुसार कार्यवाही की जाये- 1. सत्र 2023-24 में भी एम पी एस ई डी सी के सहयोग से निर्मित एस एच जी पोर्टल के माध्यम से की गणवेश प्रदाय के संबंध मे कार्यवाही की जायेगी। 2. सत्र 2023-24 मे गणवेश प्रदाय के संबंध में राज्य शिक्षा केन्द्र के पृष्ठांकित पत्र कमांक राशिके/ प्रोत्साहन / 2022 / 5548 भोपाल दिनांक 23/09/2023 मे उल्लेखित प्रावधान अनुसार एस एच जी पोर्टल
के माध्यम से स्व सहायता समूह का चयन एवं कार्य आदेश जारी करने आदि संबंधी कार्यवाही की जायेगी।
3. एस एच जी पोर्टल पर वास्तविका नामांकन का सत्यापन विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक द्वारा किया जायेगा। अतः
आवश्यक होगी कि स्कूल शिक्षा विभाग के जिला एवं विकासखण्ड स्तरीय अधिकारियों को समुचित निर्देश दिये जाये
जिससे शालावार एवं कक्षावार नामांकन का सत्यापन एस एच जी पोर्टल पर दिनांक 31 जुलाई 2023 तक पूर्ण
किया जा सके।
4. शासकीय शालाओं में अध्ययनरत कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों (सी एम राईज विद्यालयों को छोड़कर) को सत्र
2023-24 मे स्व सहायता समूह के माध्यम से गणवेश प्रदाय की जायेगी। 5. सी एम राईज के विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक अध्ययनरत छात्र / छात्राओं को गणवेश की राशि छात्रों / पालकों के खातो में ऑनलाइन पोर्टल के द्वारा राज्य स्तर से जारी की जायेगी।
16. जिला स्तर से गणवेश प्रदाय हेतु कोई भी राशि व्यय नही की जायेगी। उपरोक्तानुसार गणवेश प्रदाय के लिये समुचित कार्यवाही कर आवश्यक मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जाये, जिससे छात्र / छात्राओं को समय-सीमा मे गुणवत्ता पूर्ण गणवेश प्राप्त हो सके।
(धनराजू एस.) संचालक
राज्य शिक्षा केन्द्र
उक्त आदेश को धता बताकर मप्र डे आजीविका मिशन के सभी जिम्मेदारों ने अपनी पसंद की फर्म से रेडीमेड ड्रेस मंगाकर सीधे स्वसहायता समूह को सौंपा गया और सम्बंधित शालाओं में बच्चों को वितरित किया गया ।
*तो प्रदेश में स्वसहायता समूह की महिलाएँ कैसे हुईं लाभान्वित*
हमारे सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश के जिन जिलों में स्कूलों के बच्चों को गणवेश वितरण हुआ उन उन जिलों में पदस्थ मप्र डे आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबन्धकों द्वारा सीधे भोपाल,इंदौर,होशंगाबाद की बड़ी फर्मों से संपर्क बनाया गया और रेडीमेड गणवेश बनकर आईं जो जिले से विकासखण्डों में समूह को भेजकर स्कूलों में पहुंचाई गईं, अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश के जिलों में एनआरएलएम द्वारा करोड़ों खर्च कर महिलाओं को काम और लाभ दिलाने जो सिलाई सेंटर खोले गए प्रशिक्षण दिया गया उन महिलाओं को न काम मिला और न ही लाभ इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय सेटिंग हुई और यहीं से शुरू हुआ कमीशनखोरी का खेल,जो राजधानी से चला और जिलों में आकर थम गया ।
*नही हुआ निविदा का प्रकाशन-की जाए जांच*
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान सहित देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा पर एनआरएलएम विभाग ने पलीता लगाया सूत्रों ने तो यह तक बताया कि करोड़ों के इस पवित्र काम को पूरा करने के लिए विधिवत अखबारों में निविदा का प्रकाशन कर स्वसहायता समूहों से कोटेशन मंगाए जाने थे किंतु कमीशन के चक्कर में जिलों के जिला परियोजना प्रबन्धक और प्रबन्धक की सांठ गांठ से निविदा का प्रकाशन ही नही किया गया है।
*कलेक्टर और सीईओ मामले से अनजान*
श्री धनराजू एस संचालक राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के पत्र से सभी जिलों के जिला कलेक्टर(संचालक) और सीईओ(उपसंचालक) एनआरएलएम अनजान हैं तभी इतना बड़ा भृष्टाचार प्रदेश में खुलेआम हुआ,अब आगे देखना यह है कि आखिर जिम्मेदारों पर जिलों के कलेक्टर, सीईओ और प्रदेश की राजनीति में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस क्या कदम उठाते हैं।