मजदूरों को जंगली जानवरों का निवाला बनाया जा रहा है – रघुवीर अहिरवार
जंगली जानवरों का निवाला बन गया…. अब मजदूरों का जिला !
सिवनी 29 दिस.2022 – जिले में भरपूर वन सम्पदा है। अच्छी जलवायु और सस्ते मजदूर हैं। सिवनी जिले में भयानक अपराधियों का कोई संगठित गिरोह भी नहीं है। यह जिला देश के सभ्य और शालीन जिले में गिना जाता है। उसके बाद भी यहां कोई बड़ा कारखाना नहीं है जिसमें 10 – 5 हजार लोगों को रोजगार मिल सके। इस जिले को नेताओं ने मजदूरों का जिला बनाकर रख दिया है। इस जिले के मजदूर पूरे देश में रोजी रोटी के लिए मारे मारे फिरते हैं। मजदूरों के इस जिला को अब जंगली जानवरों के निवाला के लिए आरक्षित कर दिया गया है। आए दिन जिले में जंगली जानवरों द्वारा लोगों को मारा जा रहा है। उक्ताशय के विचार व्यक्त करते हुए रविदास समाज संघ जिला सिवनी के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने बताया कि बुआ जी सुश्री विमला वर्मा को छोड़कर किसी राजनेता ने सिवनी जिले के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया। इस जिले के आसपास के सभी जिले नागपुर ,जबलपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला, नरसिंहपुर बहुत तेजी से विकसित हो रहे हैं। लेकिन सिवनी को साजिश के तहत बर्बाद किया जा रहा है। यहाँ बड़े बड़े उद्योग धंधों का शर्मनाक अभाव है। केवल यहाँ से अन्य जिलों के लिए सस्ते और ईमानदार मजदूरों की पूर्ति की जाती है। जिले में आए दिन जंगली जानवरों के द्वारा आदमियों का शिकार किया जा रहा है। पेंच अभ्यारण की रचना इस प्रकार की गई है कि यहां के जानवरों के निवाले के लिए आदमी आसानी से मिल जाते हैं। सिवनी से नागपुर के लिए जो फोरलेन बनाई गई है उसकी बनावट यह बताती है कि जंगली जानवर पूरे जिले में बेखौफ घूम सकते हैं। खास तौर पर कुरई , पांडरवानी,से लेकर बहरई तक का क्षेत्र जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित किया जा रहा है। जनचर्चा है कि इन क्षेत्रों के गांवों को सरकार खाली करवाना चाहती है किन्तु आंदोलन के डर से घोषणा नहीं कर रही है। सरकार चाहती है कि जंगली जानवरों के आतंक से इन क्षेत्रों के ग्रामवासी खुद ही इन क्षेत्रों को खाली कर दें। श्री अहरवाल ने आगे बताया कि सिवनी जिले के साथ अनेक प्रकार की साजिश हो रही है। इसमें यहाँ के राजनेता भी शामिल हैं। जो अपना विकास करके जिले को बर्बाद करने में दिल्ली भोपाल के नेताओं की जी हुजूरी करते रहते हैं। श्री अहरवाल ने आम जनता से अपील किया है कि जिले के विकास के लिए कोई बड़ा संवैधानिक आंदोलन चलाया जाए।