डबल मनी कांड-प्रशासनिक सहयोग से कंकरायने ने रचा लूट अद्भुत प्रयोग
प्रशासनिक लूट का केन्द्र लांजी..?
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प्रशासनिक सहयोग से कंकरायने ने रचा लूट अद्भूत प्रयोग
परेश के.राय..
बालाघाट(पृथ्वीटाइम्स)31अक्टूबर22 जिले के बड़े छोटे स्थानीय सभी नेता , बड़े छोटे अधिकारी , मंत्री , सभी अपनी भागीदारी अनुसार जनता को लूटकर मालामाल हो चुके ।
जिस नेता को लगा कि उसकी कीमत कम मिली हैं वह छोटी मोटी सभा आयोजित कर मोटी रकम वसूलने में सफल रहे चाहे वह सूंजारे जी ही क्यों न हो । भटूरे , खावरे जैसे नेता तो पहले ही खरबपति बन चुके थे । मास्टर माइंड सोमेन्द्र कंकरायने नेताओं , प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी अंगुलियों पर नचाता गया । पूर्व में ईडी की कार्यवाही की पुड़िया भी सोमेन्द्र कंकरायने के इशारे पर चलाया था।
वर्तमान में कमीश्नर से एक परिपत्र जारी करवाया गया है । अस्थाई रूप से प्रापर्टी को सीज करने सम्बंधी यह सब जनता को धोखा देने के लिए ही है।
चालबाजी हो सकती है
जब सोमेन्द्र कंकरायने का लक्ष्य पूरा हो चुका तब एस पी से मिलकर छापे डलवाकर अपनी गिरफ्तारी करवाया और जमानत पर बाहर आ गया। लांजी पुलिस कुछ लोगों को भगोड़ा घोषित कर चुकी हैं यह भी पुलीस की सोमेन्द्र कंकरायने से मिलिभगत है । यदि नहीं तो फरार लोगों के पारिवारीक सदस्यों पर दबाव डालकर गिरफ्तार कर सकती थी, लेकिन नहीं करेगी ।बहूत बड़ा ठग सोमेन्द्र कंकरायने, बड़ा ठग है । इसने प्रशासनिक अधिकारियों, नेताओं से मिलकर जनता को लूटता है ।
ब्रोकर कौन…..?
सोमेन्द्र कंकरायने ने अलग अलग शहरों में अपने लोगों को बिठाया और उनको ब्रोकर का नाम दिया। गांव गांव में एजेंटों को नियुक्त कर उनके मार्फत राशि कम समय में दुगना करने का लालच देकर मंगाया गया,कुछ एजेंटों ने ब्रोकरों को सीधे ले जाकर जमा किया । लेकिन सारे पैसे वापस सोमेन्द्र कंकरायने के पास ही आ गया । एजेंटों को लगने लगा कि हम पैसे सीधे ब्रोकरों के पास जमा कर रहे हैं । लेकिन वे सब सोमेन्द्र कंकरायने के बूने जाल में फसते चले गये ।
जुएफड़ की तरह ज्यादा माल अंदर कर थोड़ी राशि का प्रकरण बनाती चली गई । पुलिस !
एजेंटों की गर्दन पर तलवार लटकी हुई है । एजेंटों ने अपने गांव ही छोड़ दिऐ है । ब्रोकरों ने उनको फर्जी चेक थमा दिया है।
जिम्मेदारी किसकी….?
जनता की लूटी हुई रकम को लौटाने की ज़िम्मेदारी सरकार की है, सरकार के नाक के नीचे प्रशासन की मिलीभगत से लूट चल रहा था और सरकार जनता को लूटते हुऐ देख रही थी।नेता और अधिकारी मालामाल हो रहे थे,मंत्री विधायक तिजोरी भर रहे थे सरकार अपने कर्तव्य से बच नहीं सकती। सरकार शुतुरमुर्ग की तरह आंखे बंदकर कर बैठी हुई है ।मेंडक की तरह टर्राने वाले नेता चुप बैठ गये हैं । जनता कष्ट में है कोई साथ नहीं है । राजनैतिक कार्यक्रमों के लिए ठगों से चंदा लेने वाले नेता चुप्पी साधे हुए हैं।
निष्कर्ष….?
राशि दूगनी करने के लालच में अपनी भूमि,आभूषण बेचकर, बैंकों से कर्ज लेकर राशि ठगों के पास जमा करने वाली जनता लूट चुकी है। अपने नेताओं,अपने अधिकारीयों और ठगों के हाथों। जनता भिखारी बन चुकी है।
*मालामाल कौन…?*
नेता, प्रशासनिक अधिकारी, और ठग मालामाल हो चुके हैं ।