आखिर…. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा पार्षदों की फौज आंखें मूंदकर क्यों तमाशा देख रहे हैं?
आखिर…. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा पार्षदों की फौज आंखें मूंदकर क्यों तमाशा देख रहे हैं?
छपारा नगर परिषद का कारनामा, मोक्ष धाम और कब्रिस्तान को बना दिया कचरा घर
अश्वनी मिश्रा
छपारा – नगर परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित पार्षदों के अलावा स्थानीय प्रशासन 12 दिनों बाद भी नगर से निकलने वाले कचरे और अवशिष्ट पदार्थ के मामले में अब तक कुछ नहीं कर पाया हैं। हैरानी की बात यह है कि नगर के मोक्ष धाम और कब्रिस्तान को कचरा घर बना दिया गया हैं। वही परिषद के द्वारा बनाए गए डंपयार्ड में ग्रामीणों के विरोध के चलते आज भी ताला लटका हुआ हैं।
उल्लेखनीय है कि छपारा नगर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जूनापानी में लगभग 15 माह पूर्व नगर परिषद के द्वारा स्थल चयन करते हुए कचरा प्रबंधन के लिए डंपयार्ड बनाया गया था। बता दें कि बिना किसी व्यवस्था के 1 साल तक इस स्थल पर छपारा नगर परिषद के 15 वार्डो का कचरा लगातार फेंका जाता रहा।
## 3 ग्रामों में फैला संक्रमण तो ग्रामीणों ने जड़ा ताला ##
बता दें कि जिस जगह पर कचरे प्रबंधन के लिए डंपयार्ड बनाया गया हैं उस जगह से लगे हुए जूनापानी, जामुनपानी और बंजर ग्राम बसे हुए हैं। 6 माह पहले भी उक्त तीन ग्रामों के सैकड़ों ग्रामीणों के द्वारा स्थानीय प्रशासन को लिखित रूप से शिकायत कि जाकर सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत दर्ज की गई थी। लेकिन 6 माह बीतने के बाद भी नगर परिषद में बैठे प्रशासक के रूप में तहसीलदार और सीएमओ ने इस गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान देना उचित नहीं समझा। जिसके चलते पिछले 12 दिनों पूर्व पुनः तीनों ग्रामों के ग्रामीणों ने डंपयार्ड पर ताला जड़ दिया था। जिसके बाद तहसीलदार, नगर परिषद सीएमओ और छपारा टीआई सहित नवनिर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित पार्षदों की फौज भी उक्त स्थल पर ग्रामीणों को समझाने पहुंची थी। लेकिन काफी विरोध के बाद प्रशासन और नेताओं की फौज बैरंग वापस लौट गई थी। हैरानी की बात यह है कि 12 दिनों बाद भी अब तक प्रशासन ना तो नाराज ग्रामीणों को समझा पाया है और ना ही उक्त डंपयार्ड पर कचरा प्रबंधन के लिए कोई उचित व्यवस्था भी नहीं बना पाया हैं। अब छपारा नगर परिषद ने नगर के एकमात्र मोक्षधाम और कब्रिस्तान को ही कचरा घर बना दिया हैं और लगातार उक्त स्थल पर कचरे गाड़ियों के द्वारा कचरा फेंका जा रहा हैं। जबकि नगर परिषद के पार्षद चुनाव संपन्न होने के बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के निर्विरोध चुनाव भी संपन्न हो चुके हैैं। आखिरकार नवनिर्वाचित पार्षदों के अलावा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष आंख मूंदकर तमाशा क्यों देख रहे हैं?