5 दिनों से छपारा नगर परिषद में नही उठ रहा कचरा
5 दिनों से छपारा नगर परिषद के वार्डों में नहीं उठ रहा कचरा
अब……नहीं सुनाई देती गाड़ी वाला आया कचरा निकाल की आवाज
कई घंटों की मशक्कत के बाद प्रशासन लौटा बैरंग, ग्रामीणों ने नहीं खोलने दिया डंपयार्ड का ताला
अश्वनी मिश्रा
छपारा पृथ्वी टाइम्स 12 अगस्त 22
नगर परिषद में भाजपा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के शपथ ग्रहण समारोह के पहले ही एक बड़ी मुसीबत नगर वासियों को झेलनी पड़ रही हैं। दरअसल पिछले 5 दिनों से नगर परिषद के 15 वार्डों में कचरा गाड़ियों का घूमना बंद हो गया हैं और अब नागरिकों को गाड़ी वाला आया कचरा निकाल की आवाज सुनाई देना भी बंद हो गई हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि कि पूरा मामला छपारा नगर परिषद के 15 वार्डो से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ और कचरें का हैं। नगर से निकलने वाला कचरें का डंप यार्ड जामुनपानी में बनाया गया हैं। पिछले 6 महीने पूर्व भी इस डंपयार्ड से जुड़े 3 गांव के ग्रामीणों ने यहां पर नगर परिषद की कचरा गाड़ियों को आने नहीं दिया था। ग्रामीणों के विरोध के कारण 2 दिनों तक छपारा नगर परिषद के वार्डों का कचरा इस डंपयार्ड में डंप नहीं हो पाया था। उस समय भी स्थानी प्रशासन के द्वारा व्यवस्था बनाए जाने और आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने अपना विरोध समाप्त कर दिया था और लगातार उक्त स्थल पर नगर का कचरा डंप हो रहा था।
6 महीनों तक सोते रहा प्रशासन, गांव में फैल रहा संक्रमण
बता दें कि डंपयार्ड से लगे हुए जामुनपानी, जूनापानी और बंजर ग्राम के ग्रामीण इन दिनों लाखों की तादाद में मक्खियों के आतंक और संक्रमण से परेशान हैं और बीमार भी हो रहे हैं। उक्त तीनों ग्रामों में छोटे-छोटे बच्चों के अलावा युवा वर्ग सहित वृद्धजन दिन भर हाथों में गमछा लिए मक्खियों को हकालते परेशान हो रहे हैं। बता दें कि पिछले 5 दिनों से उक्त 3 गांव के ग्रामीणों ने कचरा फेंकने वाले डंपयार्ड स्थल के गेट पर ताला जड़ दिया है। आज बुधवार सुबह स्थानीय प्रशासन जिसमें तहसीलदार सुश्री निधि शर्मा, नगर परिषद सीएमओ श्याम गोपाल भारती और छपारा थाने के टीआई सौरभ पटेल सहित हाल ही में निर्वाचित हुए अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित पार्षदों के अलावा नगर के भाजपा नेताओं की फौज उक्त स्थल पर कई घंटों तक ग्रामीणों को समझाने का प्रयास करती रही। किंतु आक्रोशित ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से नेताओं की फौज और प्रशासन को बताया कि 6 महीने पूर्व भी यही समस्या थी और 6 महीने बाद भी समस्या जस की तस है। जिसके बाद नाराज ग्रामीणों के बढ़ते विरोध के कारण प्रशासन और नेताओं की फौज बैरंग वापस लौट गई हैं।