न्यायालयीन लापरवाही बरतने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया 10 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म का मामला
न्यायालयीन लापरवाही बरतने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया
10 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म का मामला
बालाघाट(पृथ्वीटाइम्स)मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 10 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के प्रकरण में आरोपित को दोषमुक्त करने के खिलाफ राज्य शासन की अपील स्वीकार कर ली। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामले में बालाघाट के विशेष जज, पाक्सो एक्ट आनंद प्रिय राहुल ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण मेडिकल साक्ष्य डीएनए रिपोर्ट पर न तो विचार किया और न ही उसका उल्लेख किया। न्यायमूर्ति सुजय पाल व जस्टिस डीडी बंसल की युगलपीठ ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए रजिस्ट्रार जनरल को संबंधित जज का मामला प्रशासनिक समिति को भेजने के निर्देश दे दिए हैं। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि गंभीर स्तर की गलती करने वाले विशेष न्यायाधीश के खिलाफ उचित कार्रवाई या आदेश पारित किया जा सके। कोर्ट ने मामले के आरोपित जितेंद्र कुठे उर्फ गोलू के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर उसे रजिस्ट्री के समक्ष हाजिर होने के निर्देश जारी किए हैं।
बालाघाट के विशेष न्यायाधीश, पाक्सो एक्ट आनंद प्रिय राहुल ने 22 सितंबर, 2021 को नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित जितेंद्र कुठे को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। जितेन्द्र पर आरोप है कि उसने अपनी मुंहबोली भांजी के साथ दुष्कर्म किया था। विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य शासन ने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की। शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता एसके कश्यप ने कोर्ट को बताया िक मामले के मुख्य गवाह थानेदार केएल बरकड़े ने गवाही देकर बताया था कि आरोपित का डीएनए टेस्ट पाजिटिव आया है। इसके बावजूद विशेष अदालत ने इस महत्वपूर्ण साक्ष्य पर न तो विचार किया और न ही उसका जिक्र अपने आदेश में किया।
बालाघाट जिले में समाचार, विज्ञापन के लिए संपर्क करें।*परेश के राय,जिला ब्यूरो*