MP पंचायत चुनाव: शिवराज सरकार उठाएगी यह कदम, महाधिवक्ता ने बताया पूरा मामला

MP पंचायत चुनाव: शिवराज सरकार उठाएगी यह कदम, महाधिवक्ता ने बताया पूरा मामला

देश की सर्वोच्च अदालत ने मध्य प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया है

जयदीप सिंह बैस (अधिवक्ता) सिवनी

साभार, जीन्यूज एमपी। *मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए बिना ओबीसी आरक्षण के ही चुनाव कराने का फैसला सुनाया है. जिससे प्रदेश में जमकर सियासत होती दिख रही है. खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने भी बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कराने के लिए तैयार है.*

*वहीं इस मुद्दे पर जबलपुर हाईकोर्ट के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया है कि शिवराज सरकार अब क्या फैसला लेने वाली है.*

मॉडिफिकेशन ऑफ आर्डर के लिए सरकार देगी आवेदन
देश की सर्वोच्च अदालत ने मध्य प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया है. लेकिन यह आदेश मध्य प्रदेश सरकार के गले नहीं उतर रहा है. लिहाजा अब सरकार सुप्रीम कोर्ट में मोडिफिकेशन ऑफ आर्डर के लिए आवेदन दायर करेगी.

*मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि ”सुप्रीम कोर्ट के आदेश में संशोधन के लिए आवेदन दिया जाएगा. इस पर सरकार से बातचीत चल रही है, प्रशासन ने कहा कि हमने ट्रिपल टेस्ट की मर्यादाओं का भी पालन किया है, मध्यप्रदेश में परिसीमन की कार्रवाई भी लगभग पूरी हो चुकी है, भले ही आदेश के मुताबिक चुनाव आयोग दो हफ्ते में अधिसूचना के लिए बाध्य है. लेकिन हमें सुप्रीम कोर्ट से अभी भी उम्मीद है और इसीलिए हम मॉडिफिकेशन ऑफ आर्डर के लिए आवेदन दायर करेंगे.*

प्रशांत सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने सभी नियमों का पालन किया है. ऐसे में अब जल्द ही सरकार की तरफ से मॉडिफिकेशन ऑफ आर्डर दायर किया जाएगा, ताकि चुनाव में ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हो सके.

*सुप्रीम कोर्ट का फैसला*

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राज्‍य चुनाव आयोग से कहा है कि वो पंचायत चुनाव को लेकर 2 हफ्ते के अंदर अधिसूचना जारी करें. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मध्यप्रदेश में बिना OBC आरक्षण के ही स्थानीय निकाय के चुनाव होंगे. कोर्ट ने राज्‍य चुनाव आयोग को दो हफ्ते में अधिसूचना जारी करने को कहा है. कोर्ट ने ये भी कहा कि पिछले दो साल से स्थानीय निकायों के करीब 23 हजार पद खाली पड़े हैं. हर पांच साल में चुनाव कराना सरकार का संवैधानिक दायित्व है. *आरक्षण के ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए और समय नहीं दिया जा सकता.*

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